haridwar news अधिवक्ता विकेश नेगी को दून पुलिस ने 25 जुलाई 2024 को ढोल नगाड़ों के साथ जिला बदर करते ढोल नगाड़ों के साथ टिहरी की सीमा में छोड़ दिया था। उन्हें अभ्यस्थ अपराधी बताते हुए 06 माह के लिए जिला बदर किया गया था। हालांकि, दून पुलिस की यह कहानी मंडलायुक्त गढ़वाल विनय शंकर पांडे के समक्ष धरी रह गई और उन्होंने अधिवक्ता विकेश नेगी को जिला बदर करने के अवर न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया। haridwar news
haridwar news दरअसल, नेहरू कॉलोनी थानाध्यक्ष की रिपोर्ट पर भरोसा करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून ने उसे गुंडा एक्ट के तहत कार्यवाही के लिए जिलाधिकारी को भेजा था। जिलाधिकारी ने पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर अधिवक्ता विकेश नेगी को गुंडा एक्ट में निरुद्ध करते हुए 06 माह के लिए देहरादून से जिला बदर कर दिया।इस आदेश को विकेश ने मंडलायुक्त गढ़वाल की कोर्ट में चुनौती दी। जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय इलाहाबाद के राजकुमार दुबे बनाम राज्य व अन्य में पारित आदेश का हवाला दिया। अपीलार्थी के अधिवक्ता ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि गुंडा एक्ट के तहत भेजे गए नोटिस में प्रत्येक मामले की धारा और अब तक की गई कार्यवाही का पूरा विवरण होना चाहिए। नोटिस में अपेक्षित विस्तृत विवरण के अभाव में ऐसा आदेश निरस्त किए जाने योग्य है। haridwar news
haridwar news विकेश नेगी के अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर ही जिलाधिकारी ने नोटिस जारी किया। लिहाजा, उन्होंने बिना विस्तृत विवरण के नोटिस के क्रम में ही अपना पक्ष रखा। इस लिहाज, से यह पूरी कार्यवाही दूषित है। दूसरी तरफ अभियोजन अधिकारी ने मंडलायुक्त कोर्ट को बताया कि विकेश नेगी पर 05 मुकदमे दर्ज हैं और वह अभ्यस्थ अपराधी हैं। उन्होंने अपने कृत्यों से आमजन में भय का माहौल पैदा किया है और अतिक्रमण संबंधी मामलों में लोक सेवकों को ब्लपूर्वक रोकने जैसे प्रयास भी किए हैं।हालांकि, जो आरोप अधिवक्ता विकेश पर लगाए गए, उनके क्रम में अभियोजन पक्ष ने जिलाधिकारी कोर्ट को साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए हैं। haridwar news
haridwar news पुलिस ने बताया था विकेश को अभ्यस्थ अपराधी, पत्रावली में नहीं मिले साक्ष्य, अभियोजन अधिकारी भी नहीं दे पाए ठोस जवाब
haridwar news सिर्फ पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर यह कार्यवाही की गई। मंडलायुक्त कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने जनहित में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। साथ ही सरकारी कार्मिकों के भ्रष्टाचार को उजागर किया और 02 भाजपा नेताओं के नियम विरुद्ध कृत्यों और भ्रष्टाचार को सामने रखा। इसी कारण उनके विरुद्ध यह कार्यवाही की गई है।दोनों पक्षों को सुनने के बाद मंडलायुक्त विनय शंकर पांडे की कोर्ट ने अपील को स्वीकार किया। साथ ही कहा कि प्रश्नगत प्रकरण में अपीलार्थी पर पंजीकृत मुकदमों में किसी में भी सक्षम न्यायालय ने सिद्धदोष घोषित नहीं किया है। साथ ही अपीलार्थी के भय व्याप्त करने वाले कृत्यों के संबंध में कोई साक्ष्य अवर न्यायालय की पत्रावली में दर्ज नहीं है। न ही अभियोजन पक्ष ने इस न्यायालय के समक्ष ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया है। सिर्फ बीट रिपोर्ट के आधार पर अपीलार्थी को गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत जनपद से निष्कासित किया जाना उचित नहीं है। लिहाजा, अवर न्यायालय के आदेश को निरस्त किया जाता है।
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