Bihar ki rajniti or rajneta बिहार में पिछले दिनों सत्तारूढ़ गठबंधन की एक पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा अलग हुई और एनडीए में शामिल हो गई। पार्टी के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि जनता दल यू के नेता चाहते थे कि वे अपनी पार्टी का विलय उसमें कर दें। जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने मांझी से कहा था कि ‘छोटी छोटी दुकान चलाने का क्या फायदा, जदयू में विलय कर लीजिए।
इसमें क्या बुराई है’। लेकिन मांझी अपनी ‘छोटी दुकान’ का विलय जनता दल यू में करने को राजी नहीं हुए और भाजपा के साथ चले गए। वैसे उन्होंने अपनी पार्टी का गठन जदयू से अलग होकर ही किया था।
Bihar ki rajniti or rajneta 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। बाद में जब नीतीश ने मांझी को हटाया तो उन्होंने अलग पार्टी बना ली।
उनकी पार्टी के चार विधायक हैं और नीतीश की सरकार में एक मंत्री पद भी मिला हुआ था। ललन सिंह ने मांझी की जिस पार्टी को ‘छोटी दुकान’ कहा उसका फायदा यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने उसे लोकसभा की तीन सीटें दी थीं और कहा जा रहा है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी भी उसे एक लोकसभा सीट देगी।
Bihar ki rajniti or rajneta जुलाई में हाेेेगी भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की बैठक
Bihar ki rajniti or rajneta लोकसभा सीट का फैसला तो बाद में होगा लेकिन 18 जुलाई को भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की बैठक दिल्ली में होने वाली है, जिसमें जीतन राम मांझी भी शामिल होंगे। वे जब महागठबंधन से अलग हुए तो दिल्ली में अमित शाह से उनकी मुलाकात हुई और वे एनडीए में शामिल हुए।
इसके तुरंत बाद उनके बेटे संतोष मांझी को केंद्र सरकार ने वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया करा दी। सोचें, इस ‘छोटी दुकान’ के कितने फायदे हैं? बिहार में ऐसी कई ‘छोटी दुकानें’ हैं और उन्हें चलाने वाले कहीं न कहीं से बड़ा फायदा ले रहे हैं। बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग होकर उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक जनता दल बना लिया है। वे भी 18 जुलाई को एनडीए की बैठक में शामिल होंगे और उनको लोकसभा की दो सीटें मिलने की चर्चा है।
Bihar ki rajniti or rajneta गठबंधन से अलग होते ही केंद्र सरकार ने उनको जेड श्रेणी की सुरक्षा दे दी थी। रामविलास पासवान की छोटी सी पार्टी दो अलग अलग पार्टियों में बंट गई है। एक पार्टी के नेता पशुपति पारस केंद्र सरकार में मंत्री हैं और दूसरे के नेता चिराग पासवान जल्दी ही केंद्र में मंत्री बनने वाले हैं। बिहार की एक और ‘छोटी दुकान’ मुकेश सहनी की है।
हालांकि उनकी विकासशील इंसान पार्टी के तीनों विधायकों को भाजपा ने अपने में मिला कर उनकी दुकान पर ताला लगा दिया था लेकिन अब फिर भाजपा ही उनका ताला खोलने वाली है। बताया जा रहा है कि वे भी एनडीए में शामिल हो रहे हैं और उनको भी लोकसभा की एक सीट मिलेगी। Bihar ki rajniti or rajneta
ऐसी ‘छोटी छोटी दुकानों’ की कहानी सिर्फ बिहार की नहीं है। उत्तर प्रदेश में जितनी भी छोटी पार्टियां हैं सबके दिन फिरने वाले हैं। अपना दल का पहले से भाजपा से तालमेल है और उसके दो सांसद हैं, जिनमें से एक अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं।
संजय निषाद की पार्टी भी भाजपा के साथ है और उनके बेटे प्रवीण निषाद सांसद हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ भी भाजपा का तालमेल होने वाला है और कहा जा रहा है कि उसके नेता ओमप्रकाश राजभर के बेटे को भाजपा लोकसभा की टिकट दे सकती है। राष्ट्रीय लोकदल अभी समाजवादी पार्टी के साथ है लेकिन उसके साथ भी भाजपा का तालमेल होने की चर्चा है। Bihar ki rajniti or rajneta
Bihar ki rajniti or rajneta झारखंड में पिछले चुनाव में भाजपा ने सुदेश महतो की आजसू को लोकसभा की एक सीट दी थी तो राजस्थान में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को भी एक सीट दी थी।
इस तरह से अगर देश भर की ऐसी छोटी छोटी पार्टियों की सूची बनाई जाए, जिनके साथ भाजपा, कांग्रेस या प्रदेश की बड़ी पार्टियों ने तालमेल किया था या आगे करेंगी तो वह सूची बहुत लंबी हो जाएगी। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और राजस्थान की मिसाल देने का मकसद यह बताना है कि छोटी छोटी पार्टियां, जिनको ललन सिंह ने दुकान कहा था वो कितने फायदे में हैं। हर बड़ी पार्टी उनसे संपर्क कर रही है और अपने गठबंधन में शामिल होने का न्योता दे रही है।
Bihar ki rajniti or rajneta बड़ी पार्टियों के बड़े नेता उनसे मिल रहे हैं और उनकी ओर से की जाने वाली अनाप-शनाप मांगों पर विचार कर रहे हैं। पार्टियों में होड़ मची है कि किसकी गिनती ज्यादा होती है। पिछले दिनों संसद की नई इमारत का उद्घाटन हुआ तो 20 पार्टियों ने उस समारोह का बहिष्कार किया। इसके जवाब में कहा गया कि 30 से ज्यादा पार्टियों ने इसका समर्थन किया।
सो, गठबंधन की ताकत दिखाने के लिए पार्टियों की गिनती कराई जा रही है। विपक्षी पार्टियों के एकजुट होने की कवायद से आशंकित भाजपा भी उसी तरह की कोशिश में जुट गई है। सारी प्रादेशिक पार्टियों के खत्म हो जाने की भविष्यवाणी करने वाली भाजपा हर राज्य में छोटी छोटी पार्टियों को साथ लेकर उनको जीवनदान दे रही है।
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Bihar ki rajniti or rajneta छोटी पार्टियों को सिर्फ इतना फायदा नहीं है कि उनकी पूछ बढ़ी है और किसी न किसी गठबंधन की ओर से उनको न्योता मिल रहा है और उनके नेताओं को वाई या जेड श्रेणी की सुरक्षा मिल रही है। उनको और भी कई फायदे हैं। अगर वे भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में चली जाती हैं तो तमाम केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई से राहत मिल सकती है। अगर पहले से कार्रवाई नहीं चल रही है तो आगे कार्रवाई नहीं होने की गारंटी होगी और अगर चल रही है तो राहत की गारंटी होगी।
अभी महाराष्ट्र में एनसीपी के नेता अजित पवार और उनके साथ राज्य सरकार में मंत्री बने नेता इसकी मिसाल हैं। अजित पवार सहित नौ मंत्रियों में से कम से कम चार के खिलाफ मामले चल रहे हैं। छोटी दुकान चलाने का एक फायदा यह भी है कि उसको मिलने वाले चंदे पर आयकर नहीं लगता है। यहां तक कि विदेश से मिलने वाले चंदे का भी हिसाब नहीं देना होता है।
सो, चंदा देकर काले धन को सफेद बनाने का खेल भी चलता रहता है। भारत में इस समय छह राष्ट्रीय पार्टियां हैं और 54 राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त पार्टियां हैं। इनके अलावा 2,597 बिना मान्यता वाली पंजीकृत पार्टियां हैं। इनमें से 90 फीसदी के करीब पार्टियां ऐसी हैं, जिनका कोई सांसद या विधायक नहीं जीता है। बहुत सी पार्टियां ऐसी हैं, जो कभी चुनाव नहीं लड़ती हैं। फिर भी ये पार्टियां हैं, इनके नाम हैं, झंडे हैं, कार्यालय है और चंदा भी मिलता है तो वह बिना मतलब के तो नहीं होगा! Bihar ki rajniti or rajneta
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