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National game 38वें राष्ट्रीय खेल को लेकर हर तरफ उत्साह, ओलंपियन भी तैयार

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38वें राष्ट्रीय खेलों को लेकर हर तरफ उत्साह है। ओलंपियन खिलाड़ी भी इस महा आयोजन का भागीदार बनने के लिए तैयारियों में जुटे हैं। रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके मनीष रावत इस आयोजन में खिलाड़ी बतौर नहीं दिखेंगे, लेकिन एक कोच के तौर पर उनकी सक्रिय भागीदारी जरूर दिखेगी। इसी तरह, पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली अंकिता ध्यानी भले ही बंगलूरू नेशनल कैंप में है, लेकिन राष्ट्रीय खेलों को लेकर उनके उत्साह में कोई कमी नहीं है। पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाले सूरज पंवार और परमजीत सिंह भी राष्ट्रीय खेलों को लेकर बेहद उत्साहित हैं।

  • मनीष कोच की भूमिका में, अंकिता, सूरज, परमजीत करेंगे राज्य का प्रतिनिधित्व
  • ओलंपियन मानते हैं कि मील का पत्थर साबित होंगे राष्ट्रीय खेल
  • अपनी धरती पर अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करने से गौरवान्वित

38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी इस बार उत्तराखंड के हिस्से आई है। यह महा आयोजन 28 जनवरी 2025 से शुरू होना है। इससे पहले, 15 दिसंबर को राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर मौली के साथ ही मशाल व अन्य प्रतीकों की लांचिंग की जा चुकी है। इस कार्यक्रम में मनीष रावत ही पहली बार मशाल को हाथ में लेकर सार्वजनिक तौर पर सामने आए थे। रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके मनीष रावत इस बार कोच बतौर सक्रिय हैं। वह उत्तराखंड पुलिस के इंस्पेक्टर हैं।

पेरिस ओलंपिक में अलग-अलग प्रतिस्पर्धाओं में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी अंकिता ध्यानी हों या फिर सूरज पंवार या परमजीत सिंह, राष्ट्रीय खेलों को लेकर उत्साहित हैं। ये तीनों ही खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करेंगे। तीनों खिलाड़ी अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। राष्ट्रीय खेल उत्तराखंड के लिए सौभाग्य की बात है। उत्तराखंड में खेल विकास के दृष्टिकोण से यह मील का पत्थर साबित होंगे। प्रदेश में खेल से संबंधित आधारभूत ढांचा और मजबूत होगा।

मैं अपने को खुशकिस्मत मानता हूं कि राष्ट्रीय खेल की मशाल की लांचिंग के दौरान मुझे इस हाथों में थामने का सुअवसर प्रदान किया गया। अंकिता ध्यानी, पेरिस ओलंपिक में भाग ले चुकीं एथलीट का कहना है कि राष्ट्रीय खेलों को लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं। सबसे बड़ी बात यह है कि यह आयोजन मेरे घर यानी उत्तराखंड में हो रहा है। इसके अलावा, अपनी धरती पर अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करना सोने पर सुहागा जैसा है। यह उत्तराखंड के लिए न सिर्फ खेल, बल्कि हर लिहाज से बड़ा अवसर है। इससे उत्तराखंड को बहुत एक्सपोजर मिलेगा।

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