
उत्तरकाशी, 21 जून 2025 जिले के केदारघाट क्षेत्र में शुक्रवार सांयकाल एक संवेदनशील और साहसिक राहत कार्य ने लोगों का दिल जीत लिया। बीते 20 जून को शाम के वक्त एक श्वान (कुत्ता) भागीरथी नदी की तेज और उफनती धाराओं के बीच बने एक टापू पर फंस गया था। पानी का बहाव इतना तेज था कि श्वान का लौट पाना असंभव हो गया, और वह घबराया हुआ उसी टापू पर बैठा रहा।
स्थानीय लोगों द्वारा जैसे ही इस घटना की सूचना अग्निशमन विभाग (फायर सर्विस) उत्तरकाशी को दी गई, फायर स्टेशन से रेस्क्यू टीम तत्काल घटनास्थल के लिए रवाना हुई। घटनास्थल केदारघाट क्षेत्र होने के कारण जोखिम और चुनौती दोनों अधिक थे। नदी की धारा तेज थी और अंधेरा धीरे-धीरे गहराता जा रहा था।
फायर सर्विस टीम के जवानों ने स्थिति का आंकलन करते हुए सावधानीपूर्वक रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। रेस्क्यू के दौरान रस्सियों और लाइफ जैकेट्स का सहारा लिया गया। करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार फंसे हुए श्वान को सुरक्षित टापू से बाहर निकाल लिया गया। उसे सुरक्षित किनारे लाने के बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली और फायर टीम के प्रयासों की सराहना की।
फायर स्टेशन उत्तरकाशी के अधिकारियों ने बताया कि यह रेस्क्यू ऑपरेशन न केवल जान जोखिम में डालने वाला था, बल्कि पशु-प्रेम और मानवीय भावना का प्रतीक भी रहा। श्वान को सुरक्षित निकालना विभाग के कर्तव्य का हिस्सा था और टीम ने इसे पूरी निष्ठा के साथ निभाया।
स्थानीय निवासी भी इस पूरे घटनाक्रम से भावुक दिखे। कई लोगों ने कहा कि, “जानवरों की जान बचाना भी उतना ही जरूरी है जितना इंसानों की। फायर टीम का यह कार्य वाकई प्रशंसनीय है।”
उत्तरकाशी फायर सर्विस की यह तत्परता और संवेदनशीलता एक मिसाल है – एक ऐसा उदाहरण जो बताता है कि मानवता केवल बड़ी आपदाओं में नहीं, बल्कि हर छोटी मदद में भी झलकती है।