Dehradun news; जानें इसकी खास बातें, उत्तराखंड विधानसभा में आज पारित हो सकता है समान नागरिक संहिता बिल

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Dehradun news; सदन के सारे कामकाज स्थगित कर सरकार सदन में 202 पृष्ठों का यूसीसी विधेयक लेकर आई। अब बुधवार को चर्चा के बाद यूसीसी विधेयक पारित होना तय माना जा रहा है।

दो साल की कसरत के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को विधानसभा के पटल पर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) उत्तराखंड विधेयक 2022 रखकर इतिहास रच दिया। सदन में बिल पेश करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य हो गया है। विधेयक में प्रावधान के मुताबिक, बेटा और बेटी को संपत्ति में समान अधिकार देने और लिव इन रिलेशनशिप में पैदा होने वाली संतान को भी संपत्ति का हकदार माना गया है। अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों पर यूसीसी लागू नहीं होगा। सदन में विधेयक पेश करने के बाद सीएम ने कहा कि यूसीसी में विवाह की धार्मिक मान्यताओं, रीति-रिवाज, खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर कोई असर नहीं होगा।

मंगलवार को सदन के सारे कामकाज स्थगित कर सरकार सदन में 202 पृष्ठों का यूसीसी विधेयक लेकर आई। इस प्रक्रिया को लेकर सदन में विपक्ष की नाराजगी पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने ढाई घंटे सदन स्थगित रखा ताकि बिल के अध्ययन के लिए समय मिले। शाम करीब साढ़े छह बजे सदन स्थगित हो गया। चर्चा के बाद बुधवार को बिल पारित होने की संभावना है। चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने धामी सरकार की तारीफ की तो नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व एक अन्य विपक्षी सदस्य ने इसे पुनर्विचार के लिए प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग उठाई। इससे पहले सीएम धामी हाथों में संविधान की पुस्तक लेकर विधानसभा में पहुंचे। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस सदस्य प्रीतम सिंह ने व्यवस्था प्रश्न उठाया कि बिल पेश किया जा रहा है, लेकिन उन्हें बिल की प्रति नहीं मिली है। उन्होंने स्पीकर से बिल का अध्ययन करने के लिए समय देने की मांग की। Dehradun news

Dehradun news विधेयक पारित होना तय

विधानसभा में भाजपा स्पष्ट बहुमत प्राप्त है। उसके 47 सदस्य हैं। कुछ निर्दलीय विधायकों का भी उसे समर्थन प्राप्त है। ऐसे में यूसीसी विधेयक पारित कराने में कोई कठिनाई नहीं है। चर्चा के बाद यूसीसी विधेयक पारित होना तय माना जा रहा है। समवर्ती सूची का विषय होने की वजह से पारित होने के बाद विधेयक राज्यपाल के माध्यम से अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति को भी भेजा जा सकता है।

जाति, धर्म व पंथ के रीति-रिवाजों से छेड़छाड़ नहीं

विधेयक में शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों को ही शामिल किया गया है। इन विषयों, खासतौर पर विवाह प्रक्रिया को लेकर जो प्राविधान बनाए गए हैं उनमें जाति, धर्म अथवा पंथ की परंपराओं और रीति रिवाजों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। वैवाहिक प्रक्रिया में धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। धार्मिक रीति-रिवाज जस के तस रहेंगे। ऐसा भी नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे। खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। Dehradun news

Dehradun news शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य

– विधेयक में 26 मार्च वर्ष 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
– ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण का प्रावधान।
– पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25 हजार रुपये का अर्थदंड का प्रावधान।
– पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
– विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष तय की गई है।
– महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
– हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त किया गया है। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
– कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
– एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
– पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी। Dehradun news

Dehradun news संपत्ति में बराबरी का अधिकार

– संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
– जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
– नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
– गोद लिए, सरगोसी के द्वारा असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
– किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
– कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।

लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना अनिवार्य

– लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
– युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
– लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
– लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
– अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।

गोद लेने का कोई कानून नहीं

समान नागरिक संहिता में गोद लेने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है।

सदन में प्रवर समिति की रिपोर्ट रखी

स्पीकर ऋतु खंडूड़ी भूषण ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण विधेयक पर गठित प्रवर समिति की रिपोर्ट सदन पटल पर रख दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन व प्रेरणा से हमने वर्ष 2022 के विस चुनाव में प्रदेश की जनता से राज्य में यूसीसी कानून लाने का जो संकल्प लिया था, उसे हम पूरा करने जा रहे हैं। हमारी सरकार ने पूरी जिम्मेदारी के साथ समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर यूसीसी विधायक विस में पेश कर दिया है। देवभूमि के लिए वह ऐतिहासिक क्षण निकट है, जब उत्तराखंड पीएम मोदी के विजन एक भारत श्रेष्ठ भारत का मजबूत आधार स्तंभ बनेगा। – पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

विपक्ष यूसीसी पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन सरकार विपक्ष की आवाज को दबाकर यूसीसी बिल पारित कराना चाह रही है। हमने मांग की थी कि बिल पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय दिया जाए, ताकि यूसीसी के प्रावधानों पर सभी विधायक अपनी बात रख सकें। – यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष  Dehradun news

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