Kanpur news पुलिस पर हमला और शस्त्र अधिनियम के दर्ज थे मामले, कोर्ट ने विपुल दुबे को दोषमुक्त किया

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Kanpur news दो जुलाई 2020 को विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस पर जानलेवा हमला हुआ था। इस कांड में पुलिस ने विपुल दुबे को भी आरोपी बनाया था।

कानपुर देहात के बिकरू कांड से जुड़े आरोपी पर चल रहे पुलिस पार्टी पर हमला और शस्त्र अधिनियम के मामले की सुनवाई अपर जिला जज पंचम की अदालत में चल रही थी। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए एक आरोपी को दोनों मामलों में दोषमुक्त कर दिया है।

चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू में दो जुलाई 2020 को हुई घटना के बाद फरार चल रहे आरोपी विपुल दुबे को सजेती पुलिस ने छह जनवरी 2021 को गिरफ्तार किया था।  उसके ऊपर पुलिस पार्टी पर हमला करने और शस्त्र अधिनियम के दो मामले दर्ज किए गए थे।

मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष सजेती रावेंद्र कुमार मिश्रा ने वादी बनकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें बताया था कि छह जनवरी 2021 को वह साथी पुलिस कर्मियों के साथ सरकारी वाहन से कोरिया क्षेत्र में रात्रि गश्त कर रहे थे। तभी एक व्यक्ति बाइक से परास की ओर से आता दिखाई दिया। रुकने का इशारा करने पर उसने भागने का प्रयास किया। Kanpur news

Kanpur news एक तमंचा और दो कारतूस मिले थे

गाड़ी फिसल जाने पर वह गिर गया और खेतों की ओर भागते हुए पुलिस पार्टी पर फायर किया। किसी तरह उसे घेरकर पकड़ लिया था। तलाशी में उसके पास से एक तमंचा और दो कारतूस मिले थे। पुलिस ने उसकी पहचान विपुल दुबे के रूप में की थी। विपुल को पुलिस ने बिकरू कांड में आरेापी बनाया था। मामले में पुलिस ने आरोपी को जेल भेज दिया था।

पुलिस पर हमला और शस्त्र अधिनियम के दोनों मामलों में दोषमुक्त कर दिया

मामले की सुनवाई अपर जिला जज पंचम दुर्गेश की अदालत में चल रही थी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रेमचंद त्रिपाठी व पवनेश कुमार शुक्ला ने बताया कि अदालत ने मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी विपुल दुबे को पुलिस पार्टी पर हमला और शस्त्र अधिनियम के दोनों मामलों में दोषमुक्त कर दिया है।

अभियोजन दस्तावेजों मे छेड़छाड़ बना संदेह

बचाव पक्ष के अधिवक्ता पवनेश कुमार शुक्ला ने बताया कि अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि अभियोजन दस्तावेजों में कांट-छांट की गई। अदालत ने अपने निर्णय में इस बात को उल्लेखित किया है कि अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में साबित किए गए प्रपत्रों में तारीख छह को काटकर सात किया गया है। Kanpur news

Kanpur news पुलिस कर्मियों ने अपने बचाव के लिए फायर क्यों नहीं किए

इसे अदालत ने गंभीरता से लेते हुए संदेहजनक पाया। वहीं, प्रपत्रों में समय की लिखावट में हस्तलेख का अंतर पाया, जिसे बचाव पक्ष की ओर से अभियोजन गवाहों से की गई जिरह में साबित किया गया था। वहीं, अदालत ने पाया कि पुलिस कर्मियों ने गिरफ्तारी के दौरान जब आरोपी ने फायरिंग की, उस समय किसी पुलिस कर्मियों ने अपने बचाव के लिए फायर क्यों नहीं किए। यह सबसे बड़ा संदेह साबित हुआ कि घटना हुई कि नहीं।

बरामद असलहा नहीं के लिए नहीं भेजा

बचाव पक्ष के अधिवक्ता पवनेश कुमार शुक्ला ने बताया कि अदालत ने इस तथ्य को संज्ञान में लिया कि आरोपी से पुलिस ने जिस असलहे को बरामद करने का उल्लेख किया है। उसे विधि विज्ञान प्रयोगशाला क्यों नहीं भेजा। इस तथ्य का जवाब अभियोजन गवाह नहीं दे सके, जिससे अदालत ने यह पाया कि आरोपी से बरामद असलहा क्रियाशील है कि नहीं। मामले में विवेचक ने सरसरी तौर पर विवेचना की है। निर्धारित प्रक्रियाओं का अनुपालन नहीं किया गया है, जिससे अभियोजन का आरोप संदेह पूर्ण है। Kanpur news

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