Advertisement

Lucknow news; विपक्ष के पास क्या है इसकी काट, कौरवों जैसे शब्दों के क्या हैं असल मायने

Lucknow news

Lucknow news; यह पहला मौका होगा जब किसी मुख्यमंत्री ने विधानसभा में हिंदुत्व की पिच सजाते हुए ऐसा भाषण दिया है। जाहिर है कि यह सिर्फ राजनीतिक बयान भर नहीं है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव 2024 की चौसर पर हिंदुत्व की एक और जबरदस्त चाल चल दी। इसकी काट तलाशना विपक्ष के लिए आसान नहीं है। विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर विपक्ष के आरोपों के जवाब में मुख्यमंत्री ने जो कुछ कहा वह महत्वपूर्ण और दूरगामी निहितार्थ वाला है। इसमें विरोधियों को नजीर देने के साथ नसीहत भी छिपी है। बावजूद इसके विपक्ष की घेराबंदी में भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।

संभवतः पहला मौका होगा जब किसी मुख्यमंत्री ने विधानसभा में हिंदुत्व की पिच सजाते हुए ऐसा भाषण दिया है। जाहिर है कि यह सिर्फ राजनीतिक बयान भर नहीं है। विधानमंडल की संपत्ति बन चुके इस भाषण का एक-एक शब्द अब लंबे समय तक सांविधानिक रिकॉर्ड में रहने वाला है। इसके आधार पर यह भाषण भारतीय संस्कृति और इतिहास पर देश और प्रदेश के ही नहीं बल्कि दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए भविष्य में ”हिंदू राजनीति” पर प्रमुख संदर्भ के रूप में काम करेगा। अयोध्या में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण जातिवाद पर हिंदुत्व का रंग चढ़ाकर 24 के समीकरण साधने वाला था, तो 7 फरवरी को विधानसभा में योगी का भाषण तथ्यों व तर्कों के साथ उस रंग को और चटख करता दिखा।

काशी व मथुरा के निहितार्थ
वाक्यों को दोहराना ठीक नहीं है, लेकिन सीएम योगी ने ”नंदी”, ”कृष्ण”, ”महाभारत”, तथा ”कौरव” जैसे शब्दों और इन्हें भारतीय संस्कृति के प्रतीकों से जोड़कर विपक्ष को जवाब देने के विकल्प सीमित कर दिए हैं। खासतौर पर जब लोकसभा के लिहाज से सबसे अधिक 80 सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल सपा के मुखिया अखिलेश यादव खुद को कृष्ण का वंशज होने का दावा करते हों। हालांकि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। पर, योगी ने काफी साफ-साफ तरीके से सिर्फ राजनीतिक तौर पर सपा, बसपा, कांग्रेस, वामपंथ जैसी पहचान वाले विपक्षियों को ही नहीं बल्कि सामाजिक तौर पर विरोधियों को भी महाभारत के उल्लेख से नसीहत देने की कोशिश की। उसे समझे बिना आगे की सियासत की दिशा समझना मुश्किल होगा।

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. एपी तिवारी कहते हैं कि अयोध्या में हुए परिवर्तन तथा काशी व मथुरा की स्थिति के बहाने मुख्यमंत्री विरोधियों को आक्रांताओं की नीति के साथ खड़े न होने की नसीहत देते दिखते हैं। शब्द का सीधे-सीधे प्रयोग भले नहीं किया, लेकिन कदाचित भाव उनका था कि अयोध्या की तरह काशी और मथुरा भी सनातन संस्कृति एवं सभ्यता का प्रतीक हैं। इसलिए इन पर विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण के निशान मिटाए बिना सनातन धर्मावलंबियों को संतोष नहीं मिल सकता। Lucknow news

Lucknow news कैसे जवाब देगा विपक्ष

अखिलेश यादव अगर मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि पर भाजपा के दृष्टिकोण के साथ खड़े होंगे तो उनका मुस्लिम वोट छिटकने का खतरा है और यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो भाजपा उनके यदुवंशियों का प्रतिनिधित्व करने या कृष्ण का वंशज होने के दावे पर हमला बोलकर उनके हिंदू वोटों में सेंध लगाने की कोशिश करेगी। दरअसल, योगी ने नाम भले ही नहीं लिया लेकिन यही बताने का प्रयास किया है कि मुस्लिम वोट पाने और उन्हें खुश करने के लिए गैर भाजपा दलों के शासन में अयोध्या, मथुरा, काशी के विकास की अनदेखी की गई। योगी यह समझाने में कामयाब दिख रहे हैं कि अयोध्या की तरह काशी और मथुरा का मामला किसी आक्रांता द्वारा मंदिर को मस्जिद में बदलने भर का नहीं है बल्कि लोकआस्था और सनातन संस्कृति के सम्मान, अस्मिता और पहचान को मिटाने के षडयंत्र का है। अच्छा यही होगा कि इन दो स्थलों पर विरोधी दावे छोड़ दें अन्यथा बात आगे बढ़ेगी। योगी की ये बातें खुद को मोदी और योगी से बड़ा हिंदू बताने वाले गैर भाजपा दलों के नेताओं को हिंदुत्व की पिच पर खेलने और हिंदुओं के वोटों में हिस्सा बंटाने का आमंत्रण देती दिखती हैं। पर, चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि इससे उसके मुस्लिम वोट फिसलने का खतरा है।

फिलहाल तो बाजी मारती दिख रही भाजपा
अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पहुंच रही भीड़ और बीते दिनों वाराणसी में व्यास जी के तहखाने में न्यायालय से मिली पूचा अर्चना की अनुमति के मद्ददेनजर मुख्यमंत्री योगी का भाषण तमाम अन्य गूढ़ निहितार्थ भी छिपाए दिखता है। योगी ने विपक्ष से ”शबरी और निषादराज क्या पीडीए (पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक) नहीं? ” सवाल पूछकर जो निशाना साधा है। उससे बचने के लिए विपक्ष को बहुत जतन करनी पड़ेगी। योगी के भाषण से साफ है कि प्राण-प्रतिष्ठा के बाद भी लोकसभा चुनाव में हिंदुत्व ज्यादा सशक्त मुद्दा बनने जा रहा है।

भाजपा एक बड़े वायदे को पूरा करने के तथ्य के साथ मैदान में होगी ही लेकिन उसकी झोली में तमाम तर्कों व तथ्यों के साथ काशी व मथुरा वाले अन्य स्थानों के लिए भी आश्वासन होंगे। साथ ही निषादराज, शबरी, जटायु जैसे उदाहरणों के साथ सोशल इंजीनियरिंग के साथ हिंदुत्व सधेगा । संकेत यह भी हैं कि रामराज के संकल्प की अवधारणा पर ”सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास- सबका प्रयास” के उदाहरण से गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों के लिए हुए कामों से विपक्ष की जातीय गणित की राजनीति का जवाब दिया जाएगा। अब जब राम के साथ कृष्ण और शिव भी चुनाव में मुद्दा बनकर गूंजेंगे तो सिर्फ उत्तर से दक्षिण ही नहीं बल्कि पूरब से पश्चिम भी सधने की उम्मीद की जानी चाहिए। Lucknow news

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from कलम की पहल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading