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गंगा विचार मंच के प्रान्त संयोजक लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर गंगा और यमुना की पवित्रता बनाए रखने के लिए दो महत्वपूर्ण विषयों को ‘मन की बात’ में शामिल करने का अनुरोध किया है।
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पत्र में उन्होंने माँ गंगा-यमुना में वस्त्र, पूजा, श्रृंगार सामग्री विसर्जन पर रोक लगाने और जल समाधि की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु माँ गंगा और यमुना जी को कपड़े और श्रृंगार सामग्री भेंट कर जलधारा में प्रवाहित कर रहे हैं, जिससे नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं।
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लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने अपने पत्र में लिखा कि गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में हर दिन 10 से 15 हजार श्रद्धालु स्नान करने आते हैं, जिनमें से कई महिलाएँ माँ गंगा और यमुना जी को चूड़ी, बिंदी, लिपस्टिक, कंघी, काजल, चुनरी, सिन्दूर, धोती, साड़ी, पुराने कपड़े आदि भेंट कर जलधारा में प्रवाहित करती हैं। उन्होंने इसे एक गंभीर पर्यावरणीय संकट बताया और कहा कि गंगा विचार मंच पिछले 10 वर्षों से इन कपड़ों को इकट्ठा कर सफाई अभियान चला रहा है। बावजूद इसके, यह समस्या दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है।
गंगा विचार मंच ने गंगा स्वच्छता अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए जल समाधि पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि साधु समाज के दशनामी संप्रदाय सहित कई अन्य समुदायों में मृत्यु के बाद जल समाधि देने की परंपरा है, जिससे गंगा नदी में बड़ा प्रदूषण फैल रहा है।
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कई संतों ने जल समाधि की परंपरा छोड़कर भूसमाधि लेने की घोषणा की है, जो एक सराहनीय कदम है। लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने अनुरोध किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मन की बात’ में इस विषय को शामिल करें, ताकि अधिक से अधिक लोग जागरूक हो सकें और गंगा की निर्मलता को बनाए रखा जा सके।
प्रधानमंत्री को लिखे गए इस पत्र को लेकर अब सामाजिक संगठनों और पर्यावरण प्रेमियों में भी चर्चा हो रही है। कई संगठनों ने गंगा विचार मंच की इस पहल का समर्थन किया है और उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री मोदी इस विषय को गंभीरता से लेंगे और ‘मन की बात’ में इस पर विस्तृत चर्चा करेंगे। यदि ऐसा होता है, तो यह न केवल गंगा और यमुना की स्वच्छता के लिए बल्कि देशभर की नदियों के संरक्षण के लिए भी एक ऐतिहासिक कदम होगा।
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गंगा विचार मंच ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री मोदी ‘मन की बात’ के आगामी अंक में इन विषयों को उठाकर गंगा स्वच्छता अभियान को नई दिशा देंगे। यदि इन मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में लाया जाए, तो यह गंगा और यमुना की सफाई के लिए मील का पत्थर साबित होगा और देश की पवित्र नदियों को प्रदूषण से बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।