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    प्रधानमंत्री से मदद की आस सऊदी अरब में फंसे पिता की वापसी के लिए बेटी की गुहार

    एक बेटी पिछले 8 वर्षों से अपने पिता की घर वापसी का इंतजार कर रही है। उसकी आँखों में अब भी उम्मीद की किरण बाकी है, लेकिन हर बीतते दिन के साथ उसका धैर्य टूटता जा रहा है। ग्राम गौरसाडा डुंडा उत्तरकाशी की दीपिका नौटियाल का कहना है कि वह हर दरवाजा खटखटा चुकी है, हर अधिकारी को पत्र लिख चुकी है, लेकिन उसके पिता इंद्रमणि नौटियाल अब भी सऊदी अरब की फिदक कंपनी में फंसे हुए हैं।

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    जब इंद्रमणि नौटियाल घर छोड़कर रोटी-रोजी की तलाश में परदेश गए थे, तब उनके बच्चे बहुत छोटे थे। उनकी माँ अनपढ़ हैं और घर की जिम्मेदारी अकेले दीपिका और उसके छोटे भाई पर आ गई। पिता ने सोचा था कि वे कुछ साल मेहनत करके परिवार की हालत सुधारेंगे और फिर घर लौट आएंगे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

    पिता का हाल जानकर दीपिका की आँखों से आंसू नहीं रुकते। वह बताती हैं, पापा से जब भी बात होती है, वे कहते हैं कि उन्हें घर आना है, लेकिन कंपनी वाले उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वे बंधुआ मजदूर की तरह काम करवा रहे हैं। हर बार उम्मीद बंधती है कि शायद इस बार सरकार कुछ करेगी, लेकिन हर कोशिश नाकाम साबित हो रही है।

    दीपिका ने मुख्यमंत्री से लेकर विदेश मंत्रालय, भारतीय दूतावास, प्रधानमंत्री कार्यालय और कई सामाजिक संगठनों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसे कहीं से भी ठोस सहायता नहीं मिली। उसने कई बार समाचार पत्रों में अपने पिता की आपबीती प्रकाशित करवाई, फिर भी अब तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला।

    अब, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 फरवरी को उत्तरकाशी दौरे पर आ रहे हैं, दीपिका को फिर से एक उम्मीद जगी है। उसने प्रधानमंत्री को एक मार्मिक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उसने अपने पिता की स्थिति के बारे में बताया है और गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द से जल्द भारत वापस लाने की व्यवस्था की जाए।

    प्रधानमंत्री जी, आप ही मेरी आखिरी उम्मीद हैं। पापा को बचा लीजिए। – यह वह शब्द हैं जो दीपिका ने अपनी चिट्ठी में लिखे हैं।

    परिवार के हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। माँ हर दिन मंदिर में जाकर प्रार्थना करती हैं, बेटा हर फोन कॉल पर पिता की आवाज सुनने को तरसता है, और बेटी – वह अब भी हर दरवाजे पर दस्तक दे रही है, इस उम्मीद में कि कोई उसकी आवाज सुनेगा।

    अब देखना यह है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी इस बेटी की पुकार सुनेंगे? क्या सरकार इस बेबस परिवार की मदद करेगी? या फिर यह संघर्ष यूँ ही जारी रहेगा?

    अंत में दीपिका ने राज्य के नागरिकों और प्रवासी भारतीयों से भी मदद की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर कोई सामाजिक संगठन या कोई भी व्यक्ति उनके पिता की वापसी में सहयोग कर सकता है, तो वे आगे आएं।

    अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री के उत्तराखंड दौरे से इस परिवार को राहत मिलती है या नहीं। परिवार की उम्मीदें अब सिर्फ सरकार और प्रशासन पर टिकी हैं।

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