
अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बटच विलमोर की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से सकुशल वापसी पर परमार्थ परिवार ने खुशी जताई। इसके उपलक्ष्य में मंगलवार को परमार्थ निकेतन में हवन यज्ञ भी किया गया। यज्ञ में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती और ऋषिकुमारों ने आहूतियां डालीं। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने अंतरिक्ष यात्रियों सुनीता विलियम्स और बटच विलमोर की अविश्वसनीय यात्रा और उनकी साहसिकता की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने हमारी सोच और जीवन जीने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है।
अंतरिक्ष के अज्ञात और रहस्यमय क्षेत्र में कदम रखना, यह कोई साधारण कार्य नहीं है। सुनीता विलियम्स और बटच विलमोर जैसे वैज्ञानिकों ने केवल अपने देश का नाम ही नहीं रोशन किया, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि इन वैज्ञानिकों की यात्रा केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि ही नहीं है, बल्कि यह समर्पण, साहस और धैर्य की पराकाष्ठा का प्रतीक भी है। नौ महीने तक अंतरिक्ष में रहते हुए इन वैज्ञानिकों ने जो कठिनाइयां झेलीं, वह किसी के लिए असाधारण है।
इसके बावजूद, उन्होंने न केवल अपनी उम्मीदें बनाए रखीं, बल्कि नये अनुसंधानों और खोजों के जरिए वैज्ञानिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। विज्ञान और अध्यात्म दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अध्यात्म व विज्ञान केवल भौतिक पदार्थों और तकनीकी विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर के ज्ञान और चेतना का विस्तार भी है। सुनीता विलियम्स और बटच विलमोर ने जो कुछ भी हासिल किया, वह उनकी कठिनाइयों से पार पाने की मानसिक शक्ति और विश्वास का परिणाम है।